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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के बीच संवाद, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, व्यापार और कौशल विकास में साझेदारी क्यों बनी प्राथमिकता

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई है, जिसमें दोनों देशों के बीच सहयोग को और अधिक सशक्त बनाने के लिए गहन विचार-विमर्श किया गया। इस बातचीत में प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, व्यापार और कौशल विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग के नए आयामों पर चर्चा की गई।

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साझेदारी

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम और सिंगापुर की उन्नत तकनीकी क्षमताओं के बीच तालमेल को बढ़ावा देने पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने डिजिटल भुगतान, साइबर सुरक्षा, और स्मार्ट सिटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के बारे में चर्चा की। सिंगापुर, जो प्रौद्योगिकी और नवाचार में अग्रणी है, ने भारत के साथ अपने अनुभवों को साझा करने की इच्छा जताई, ताकि भारत के प्रौद्योगिकी क्षेत्र को और मजबूत किया जा सके।

स्वास्थ्य सेवा में सहयोग

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में, दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी से सीख लेते हुए, भविष्य में स्वास्थ्य आपदाओं से निपटने के लिए एक मजबूत रणनीति विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। भारत और सिंगापुर ने वैक्सीन अनुसंधान, दवाओं के निर्माण और डिजिटल स्वास्थ्य सेवा में मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं में उन्नत प्रौद्योगिकियों के उपयोग से दोनों देशों के नागरिकों को बेहतर और सुलभ चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा सकेंगी।

व्यापार और निवेश के अवसर

व्यापार और निवेश के क्षेत्र में, नरेंद्र मोदी और लॉरेंस वोंग ने भारत-सिंगापुर आर्थिक साझेदारी को और गहरा करने की बात की। भारत में ‘मेक इन इंडिया’ और सिंगापुर की ‘फ्री ट्रेड’ नीतियों के तहत दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने पर सहमति बनी। उन्होंने व्यापार, निवेश और स्टार्टअप्स के लिए अनुकूल माहौल बनाने पर भी जोर दिया ताकि दोनों देशों के उद्यमी और कंपनियां वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ सकें।

कौशल विकास और मानव संसाधन

कौशल विकास के क्षेत्र में, प्रधानमंत्री मोदी और वोंग ने युवा पीढ़ी को नई तकनीकों और नवाचारों में प्रशिक्षित करने के महत्व को स्वीकार किया। सिंगापुर के उन्नत कौशल विकास मॉडल का लाभ उठाते हुए, भारत में उच्च कौशल कार्यक्रमों को लागू करने पर विचार किया गया। इसके साथ ही, दोनों देशों के बीच मानव संसाधन का आदान-प्रदान बढ़ाने पर भी चर्चा हुई, ताकि दोनों देशों के पेशेवरों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।

इन प्रमुख क्षेत्रों के अलावा, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा, और बुनियादी ढांचे के विकास में भी दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की गई। विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में सिंगापुर और भारत ने साझा रणनीतियां विकसित करने की इच्छा जताई।

इस बातचीत ने भारत और सिंगापुर के बीच बहुआयामी संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

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