छत्तीसगढ़ का कोरबा जिला, जिसे उर्जाधानी के नाम से जाना जाता है, राज्य की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है। कोयले की प्रचुरता और यहां स्थापित कई बिजलीघरों ने इस क्षेत्र को आर्थिक शक्ति का आधार बनाया है। लेकिन जहां एक तरफ कोरबा राज्य को बिजली प्रदान करने का गौरव प्राप्त कराता है, वहीं दूसरी ओर बिजलीघरों से निकलने वाली राख को लेकर चल रहे अवैध कारोबार ने इसे कलंकित कर दिया है। ऐसा ही एक नाम है नंदू पटेल उर्फ नंद झरोखा पटेल, जो अपनी साजिशों और अधिकारियों से सांठगांठ कर गोढ़ी राखड़ बांध को अपनी अवैध कमाई का अड्डा बना चुका है।
नंदू पटेल: भू-विस्थापित से माफिया तक का सफर
पंडरीपानी गांव का निवासी नंदू पटेल सीएसईबी में भू-विस्थापित कोटे के तहत नौकरी पाने वाला व्यक्ति है। लेकिन नौकरी के बावजूद उसकी लालसा ने उसे राखड़ के अवैध कारोबार में धकेल दिया। उसने अपनी पत्नी के नाम पर एक फर्म बनाई और खुद को गोढ़ी राखड़ बांध का अघोषित संचालक बना लिया। दस्तावेजों में दिखने वाले काम और हकीकत के बीच का फर्क उसकी साजिश का असली चेहरा उजागर करता है।
अवैध कारोबार का ‘सिस्टम’: सरकारी राजस्व को लाखों का नुकसान
गोढ़ी राखड़ बांध से निकलने वाली राख को हेम्स नामक कंपनी के जरिए उठाने का ठेका है, लेकिन इस पूरे काम को नंदू पटेल अपनी फर्म के जरिए पेटी ठेके में हथिया चुका है। पांच ट्रकों के माध्यम से राख निकालने का दावा किया जाता है, लेकिन असलियत कुछ और है। नंदू पटेल के कर्मचारी कार्यालय में पर्ची काटते हैं, लेकिन बांध से राख नहीं निकलती। इसके बजाय एनएचएआई के निर्माणाधीन सड़क प्रोजेक्ट में ‘फर्जी हस्ताक्षर’ के जरिए राख डंप करने की पुष्टि कराई जाती है। पर्ची पर हस्ताक्षर के बदले एनएचएआई कर्मियों को महज 500 रुपये देकर पूरा खेल खेला जा रहा है।
‘लोकल’ होने का फायदा और अधिकारियों से सांठगांठ
स्थानीय निवासी होने के नाते नंदू पटेल ने गोढ़ी राखड़ बांध पर अपना दबदबा बना लिया है। किसी भी बाहरी व्यक्ति को बांध पर काम करने की अनुमति नहीं है। उसकी विभागीय अधिकारियों और संबंधित कंपनियों से गहरी सांठगांठ है, जिसकी वजह से उसके अवैध कामों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
भ्रष्टाचार का असली चेहरा: ‘हिंग लगे न फिटकरी, रंग चोखा’
नंदू पटेल ने अपने अवैध काम को बेहद चतुराई से व्यवस्थित कर रखा है। उसकी गतिविधियों में न केवल सीएसईबी के अधिकारी शामिल हैं, बल्कि कुछ निजी कंपनियां भी। भ्रष्टाचार के इस खेल में सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया है। नंदू का कार्यालय गोढ़ी में ही स्थित है, जहां से पूरा संचालन होता है। वह एक तरफ सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा रहा है।
“”हेमस कॉर्पोरेशन” से जुड़ा है मामला
राखड़ के अवैध कारोबार में “हेमस कॉर्पोरेशन” का नाम भी जुड़ा है। सरकारी दस्तावेजों और आरटीआई से मिले खुलासों के अनुसार, इस कंपनी ने एनएचएआई से जुड़े निर्माण प्रोजेक्ट्स में फर्जी एनओसी और बिलों का सहारा लेकर करोड़ों रुपये का भुगतान प्राप्त किया।
प्रशासन की उदासीनता: ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’
कोरबा जिला प्रशासन और पुलिस ने कई अवैध गतिविधियों पर शिकंजा कसा है, लेकिन नंदू पटेल के खिलाफ कार्रवाई का अभाव प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है। ऐसा लगता है कि उसकी सांठगांठ का जाल इतना मजबूत है कि किसी की भी नजर उसकी अवैध गतिविधियों तक नहीं पहुंच पाती।
आवश्यकता: कठोर कार्रवाई और जागरूकता
गोढ़ी राखड़ बांध पर चल रहे इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। नंदू पटेल और उसकी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाना जरूरी है ताकि सरकारी राजस्व को और नुकसान से बचाया जा सके। साथ ही, स्थानीय लोगों को जागरूक करना होगा ताकि वे इस तरह के अवैध कार्यों का हिस्सा न बनें।
कोरबा जैसे औद्योगिक जिले को माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराना प्रशासन और समाज की साझा जिम्मेदारी है। यह वक्त है कि भ्रष्टाचार के इस घातक खेल पर लगाम लगाई जाए और कोरबा की पहचान एक उर्जाधानी के रूप में बनी रहे, न कि एक भ्रष्टाचार के गढ़ के रूप में।