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बिलासपुर: गर्भवती महिला ने ससुराल पक्ष पर लगाए प्रताड़ना के गंभीर आरोप, एसपी और आईजी से लगाई न्याय की गुहार

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बिलासपुर में एक गर्भवती महिला, आरती यादव, ने अपने ससुराल वालों पर मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। 30 अगस्त को पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय पहुंचकर आरती ने अपने पति नवीन यादव और ससुराल पक्ष के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उसने अपने और अपने परिवार की जान को गंभीर खतरा बताया है।

आरती का विवाह 2 दिसंबर 2022 को सरकंडा क्षेत्र के निवासी नवीन यादव के साथ हुआ था। विवाह के शुरुआती दिनों में ही आरती की मां कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं, जिस कारण आरती का परिवार अधिक दहेज नहीं दे पाया। आरती का आरोप है कि दहेज की मांग पूरी न होने के कारण ससुराल पक्ष ने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इस प्रताड़ना ने धीरे-धीरे विकराल रूप धारण कर लिया और आरती को मानसिक और शारीरिक रूप से पीड़ा दी जाने लगी।

आरती ने मीडिया को बताया कि ससुराल वालों की क्रूरता इस हद तक पहुँच गई कि गर्भवती होने के बावजूद, उसके पति और सास-ससुर ने मिलकर उसका हाथ काटने की कोशिश की। किसी तरह अपनी जान बचाकर आरती इस घातक हमले से बच निकली, लेकिन इसके बाद भी ससुराल वालों ने मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का सिलसिला जारी रखा। लगातार उत्पीड़न से तंग आकर और अपने अजन्मे बच्चे की सुरक्षा को लेकर चिंतित आरती ने 30 अगस्त को ससुराल छोड़ने का निर्णय लिया और अपने मायके भागने का प्रयास किया।

हालांकि, घर पहुँचने से पहले ही उसके ससुराल वाले आरती के मायके पहुँच गए और उसके माता-पिता को धमकाने लगे। उन्होंने आरती के माता-पिता को जान से मारने की धमकी दी, जिससे पूरा परिवार दहशत में आ गया। इस घटना के बाद आरती के पिता ने तुरंत सरकंडा थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई।

आरती का यह भी कहना है कि उसके ससुराल पक्ष ने सिर्फ दहेज की मांग के लिए उसे प्रताड़ित नहीं किया, बल्कि उसके अजन्मे बच्चे के भविष्य को लेकर भी उसे मानसिक तनाव में रखा। आरती ने अब एसपी और आईजी से न्याय की गुहार लगाई है, ताकि उसे और उसके परिवार को इस उत्पीड़न से मुक्ति मिल सके और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिल सके।

आरती की इस शिकायत ने जिले में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। स्थानीय प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरती के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

इस मामले ने एक बार फिर से समाज में दहेज प्रथा और घरेलू हिंसा के मुद्दे को उजागर किया है, जो न केवल महिलाओं के लिए खतरा है, बल्कि उनके अजन्मे बच्चों के भविष्य पर भी सवालिया निशान लगाता है। पुलिस और प्रशासन से इस मामले में उचित न्याय की उम्मीद की जा रही है।

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