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क्या होगा कोरबा महापौर राजकिशोर प्रसाद का, हो सकती है कानून कारवाई, जाति प्रमाण पत्र का है मामला

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बीजेपी के नेताओं ने पिछले पौने पांच साल से महापौर की जाति प्रणाम पत्र पर उठाए सवाल थे. जिसका आज परिणाम आया है. छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार आते ही जांच हुई. नगर निगम कोरबा के महापौर राजकिशोर प्रसाद की जाति प्रमाण पत्र भी फर्जी निकल गया है. आदिमजाति विभाग के प्रमुख सचिव सोनमढ़ी बोरा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय प्रमणिकरण छानबीन समिति ने सभी गवाहों और सबूतों के आधार पर जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया है और आगे के कार्यवाही के लिए कलेक्टर और डीएसपी को आवेदन प्रस्तुत किया गया. भाजपा नेता लगातार पौने पांच वर्षों से महापौर की जाति प्रमाण पत्र पर सवाल उठाए हैं. लेकिन राज्य में कांग्रेस सरकार होने के कारण कभी भी उनकी जाति प्रमाण पत्र की जांच नहीं हो पाई.

भाजपा के इन तीन नेताओं ने पर उठाए थे सवाल

भाजपा के हितानंद अग्रवाल, रितु चौरसिया और अशोक चावलानी के द्वारा लगातार महापौर की जाति प्रमाण पत्र पर सवाल उठा रहे थे जिसके लिए कई बार उन्होंने कलेक्टर एसपी को ज्ञापन भी दिया. राज्य में कांग्रेस सरकार होने के कारण एक बार भी इस महापौर की जाति प्रमाण का जांच नहीं किया गया. लेकिन जैसे ही छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी वैसे ही इसकी जांच हुई जांच में मिला कि महापौर राजकिशोर का जाति प्रमाण पत्र फर्जी बना है. इसको लेकर शहर में चर्चा हो रही है.

उच्च स्तरीय प्रमणिकरण छानबीन समिति ने सभी गवाहों और सबूतों के आधार पर जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया है और आगे के कार्यवाही के लिए कलेक्टर और डीएसपी को आवेदन प्रस्तुत किया गया. आगे की करवाई इस प्रकार होगी आदिम जाति विभाग के द्वारा उसकी जाति प्रमाण पत्र को रद्द कर देगी. महापौर कहां से जाति प्रमाण बनाए यह सवाल उठता है, आखिर कौन अधिकारी इनका जाति प्रमाण पत्र बनाया है इसका भी जांच का विषय है.

क्यों नहीं हुई अभी तक FIR दर्ज

22 अगस्त 2024 आदिमजाति विभाग के प्रमुख सचिव सोनमढ़ी बोरा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय प्रमणिकरण छानबीन समिति ने महापौर राज किशोर प्रसाद की जाति को निरस्त कर दिया गया. चार दिन बीतने के बाद भी जिलेभर में एक भी एफआईआर दर्ज नहीं जबकि 3 विपक्ष के नेता लगातार महापौर का जाति प्रणाम पत्र का विरोध कर रहे थे सोचने वाली बात है कि विपक्ष पौने पांच से लगातार कलेक्टर एसपी व अधिकारियों को ज्ञापन देकर अपनी बातों को रखने का प्रयास कर रहा था. इसके बाद भी महापौर की जाति प्रमाण पत्र की जांच नहीं हो रही थी. लेकिन जैसे ही भाजपा शासन आया उसके बाद महापौर की जाति प्रमाण पत्र की जांच हुई और उसमें प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया.

नेता प्रतिपक्ष ने कहा आखिर क्यों खेला जाता है कानून से डर नहीं है क्या

नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने कहा कि फर्जी मेयर ने पौने पांच साल कोरबा की जनता के साथ छल किया है. भाजपा हमेशा महापौर का जाति प्रमाण पत्र को लेकर सवाल उठाती रही लेकिन कांग्रेस सरकार ने अपने महापौर का जाति प्रमाण पत्र की जांच भी नहीं कर सकी. साथ ही कोरबा के विकास को अवरूद्ध किया है. जिससे कोरबा की जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह गई. निगम की सड़को में कमीशन से सड़क नही गड्डे बनवा दिए. महापौर से सैलरी, मकान, गाड़ी और निगम को हुई नुकसान की भरपाई होनी चाहिए इनके उपर न्याय को गुमराह करने की वजह से एफआईआर दर्ज होनी चाहिए, जिससे दुबारा कोई इस प्रकार से कृत्य करके जनता के पैसों का दुरुपयोग न कर पाएं. राजनीति में इस तरह के फर्जीवाड़े के लिए कोई स्थान नही है। फर्जी महापौर को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, फर्जी महापौर को शर्म आनी चाहिए और तत्काल प्रभाव से अपना इस्तीफा देना चाहिए और सार्वजनिक रूप से कोरबा की जनता से माफी मांगे.

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