छत्तीसगढ़(कोरबा). कोरबा के आबकारी विभाग से जुड़े एक बड़े घोटाले का सामने आया है, जिसमें ऑल सर्विस ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर व एजेंटों के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को नौकरी का झांसा देकर करोड़ों रुपए की ठगी की गई। यह कंपनी जिले में शराब दुकानों के लिए सेल्समेन और सुपरवाइजर पदों पर भर्ती करती है।
सूत्रों के मुताबिक, पिछले एक साल से भर्ती प्रक्रिया में पैसों के लेन-देन का खेल चल रहा था। आरोप है कि डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर भरत राव और उनके दो सहयोगी एजेंट, दिनेश यादव व जितेंद्र, ने नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगार युवकों से मोटी रकम वसूली। सुपरवाइजर पद के लिए 2 लाख से 3 लाख और सेल्समेन के लिए 90 हजार से 1.2 लाख रुपए तक लिए गए।
डीडी बनवाने के नाम पर वसूली का आरोप
खबर छत्तीसी टीम को एक बेरोजगार युवक ने जानकारी दी कि उससे डीडी बनवाने के नाम पर 90,000 रुपए मांगे गए। यह राशि दिनेश यादव को दी गई, लेकिन इसके बावजूद उसे नौकरी नहीं मिली। युवक ने बताया कि जब उसने संबंधित थाने में शिकायत करने की कोशिश की तो उसे कोई रिसीविंग नहीं दी गई।
घोटाले का पर्दाफाश और कार्रवाई
कंपनी के अधिकारियों को जब इस धोखाधड़ी की जानकारी मिली, तो डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर भरत राव को हटा दिया गया। हालांकि, आरोपित एजेंटों ने खुलकर दावा किया है कि उनकी “ऊपर तक पहुंच” है और कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
आधिकारिक बयान और शिकायत की स्थिति
ऑल सर्विस ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के नए डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर ने कहा कि यह घटनाएं उनके कार्यकाल से पहले की हैं और उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि उनकी जॉइनिंग नवंबर में हुई है।
इस मामले पर जिला आबकारी अधिकारी, आशा सिंह, ने कहा, “हमारे पास इस घटना की लिखित शिकायत नहीं आई है। कुछ युवक हमारे ऑफिस आए थे, लेकिन उन्होंने कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की।”
बेरोजगार युवकों में नाराजगी
इस मामले के खुलासे के बाद जिले के बेरोजगार युवकों में भारी नाराजगी है। उन्होंने इस घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। पीड़ित युवाओं का कहना है कि इस तरह के भ्रष्टाचार से उनकी उम्मीदें टूट रही हैं और प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
शराब दुकान भर्ती प्रक्रिया में सामने आए इस बड़े घोटाले ने जिले में प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ठगी के शिकार युवक न्याय की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस मामले में कोई ठोस कदम उठाता है या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा।