अम्बिकापुर में समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित मंदबुद्धि विद्यालय के शिक्षक नारायण सिंह सिदार को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेने के मामले में विशेष न्यायालय द्वारा चार साल के कठोर कारावास और 5 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
यह मामला तब सामने आया जब नारायण सिंह सिदार को सामर्थ्य दिव्यांग छात्रावास के मेस संचालन की अनुमति दिलाने के नाम पर 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया। सिदार ने कुल 30 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की थी, लेकिन 20 हजार रुपये में सौदा तय हुआ और पहली किस्त के रूप में 10 हजार रुपये लेते समय उसे गिरफ्तार किया गया।
शहर के गंगापुर इलाके में स्थित समाज कल्याण विभाग के कार्यालय में अंबिकापुर निवासी अंचल विश्वकर्मा भवन मरम्मत का कार्य कर रहा था। इस दौरान उसकी मुलाकात विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों से हुई। इसी संपर्क का लाभ उठाते हुए नारायण सिंह सिदार ने उसे ठेका दिलाने का वादा किया और बदले में रिश्वत की मांग की।
मामले की जांच के बाद एसीबी ने विशेष न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक ने तर्क दिया कि भ्रष्टाचार और रिश्वत जैसे सामाजिक अपराधों को रोकने के लिए आरोपित को कठोर दंड दिया जाना चाहिए। न्यायालय ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए नारायण सिंह सिदार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत दोषी ठहराया और चार साल के कठोर कारावास के साथ 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माने की राशि जमा न करने पर सिदार को छह महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
इस फैसले से यह संदेश दिया गया है कि भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी।