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खदान बंद करने की चेतावनी, ग्रामीणों ने एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

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कोरबा/पाली. एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम दर्राखांचा और अमगांव में मुआवजा विसंगति को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है। इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने 13 सितंबर को खदान बंद करने की चेतावनी देते हुए एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में एसईसीएल गेवरा के अधिकारियों पर पुनर्वास नीति का उल्लंघन करने और मुआवजा दर में कटौती का आरोप लगाया गया है।

ग्रामीणों का कहना है कि एसईसीएल गेवरा क्षेत्र द्वारा उनके मकानों और परिसंपत्तियों का सर्वे लगभग एक साल पहले किया गया था। उस समय उन्हें आश्वासन दिया गया था कि मुआवजा और अन्य सुविधाओं का पूरा भुगतान किया जाएगा, जिसमें रोजगार से वंचित भू-विस्थापितों को कौशल उन्नयन और सहयोग राशि, बसाहट के एवज में बढ़ी हुई पुनर्वास राशि आदि शामिल हैं। परंतु अब मुआवजा की जानकारी में उक्त सभी सुविधाओं और मुआवजा दर में भारी कटौती कर दी गई है, जिससे ग्रामीणों में असंतोष और निराशा व्याप्त है।

ग्रामीणों की मुख्य मांगें

ग्रामीणों द्वारा ज्ञापन में निम्नलिखित मुख्य मांगें रखी गई हैं:

1. मुआवजा दर में वृद्धि: ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि एसईसीएल द्वारा दी गई मुआवजा की राशि लागत मूल्य से भी कम है। उन्होंने शासन के मूल्यांकन बोर्ड के निर्देशानुसार बिना किसी कटौती के उचित मुआवजा का भुगतान करने की मांग की है।

मुआवजा सूची का सार्वजनिक प्रदर्शन: ग्रामीणों ने मांग की है कि ग्राम दर्राखांचा और अमगांव के सभी परिवारों की परिसंपत्तियों की मुआवजा सूची, जिसमें कुल क्षेत्रफल की जानकारी भी शामिल हो, सार्वजनिक स्थल पर चस्पा की जाए।

अलग परिवार के लिए मुआवजा: ग्रामीणों ने 18 वर्ष से अधिक उम्र के समरथ मकान धारकों को अलग परिवार मानते हुए बसाहट या उसके एवज में उचित राशि प्रदान करने की मांग की है। मलगांव में शासकीय भूमि पर बने मकानों के लिए 6 लाख रुपये की पुनर्वास राशि प्रदान की गई है, उसी तरह की सुविधा दर्राखांचा में भी दी जाए।

कौशल उन्नयन और सहायता राशि: ग्रामीणों ने मांग की है कि कम रकबा वाले भू-स्वामियों को रोजगार के एवज में कौशल उन्नयन के साथ 5 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए।

100% सोलिसियम का भुगतान: निजी या शासकीय भूमि पर बने मकानों और परिसंपत्तियों का 100% सोलिसियम प्रदान किया जाए।

आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द से जल्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे 13 सितंबर को खदान बंद करने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने इस संबंध में प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है ताकि उनके अधिकारों का संरक्षण हो सके और उन्हें उचित मुआवजा और सुविधाएं मिल सकें।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

एसडीएम ने ग्रामीणों के ज्ञापन को गंभीरता से लेते हुए आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों पर उचित विचार किया जाएगा और जल्द ही इस मामले में समाधान निकाला जाएगा। हालांकि, प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे ग्रामीणों की नाराजगी और भी बढ़ गई है।इस पूरे प्रकरण से यह साफ जाहिर होता है कि मुआवजा और पुनर्वास के मुद्दे पर प्रशासन और एसईसीएल के बीच समन्वय की कमी है, जिससे ग्रामीणों के हितों का हनन हो रहा है। आने वाले दिनों में इस मामले को लेकर कोई समाधान निकलता है या नहीं, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। यदि प्रशासन ने समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया, तो इसका असर क्षेत्र में उभरते सामाजिक असंतोष पर पड़ सकता है।

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