28 अगस्त को कुसमुण्डा क्षेत्र से लगभग 150 स्थानिय बेरोजगार कलेक्टर ऑफिस रोजगार की मांग को लेकर पहुंचे और ज्ञापन दिया. यह पूरा मामला नीलकंठ एस जेबि कंपनी का है. यहां कार्य कर रहे ड्रायबर, सुपर वायजर, हेल्फर, आपरेटर को लगभग 200 कर्मियों को अचानक कंपनी ने 2 महीने पहले निकाल दिया. नाही कारण बताओ नोटिश जारी किया है. और किस लिए बैठाया गया है इसकी भी जानकारी नहीं दी गई है. मजदूरों का वेतन भी रोक लिया गया है.
आखिर क्यों नौकरी से किया जा रहा है वंचित
कुसमुण्डा खदान में नियोजित आटसोर्सिग कंपनी निलकटं एस जेबि का ओवर बनर्डन मिट्टी ट्रान्सपोर्ट एवं कोयला ट्रान्सपोर्ट का कार्य 9 वर्षो का टेन्डर मिला हुआ है, जिसमें निलकढ़ कम्पनि के द्वारा भूस्थापितों कि भरति कि जा रही और साथ ही साथ अन्य प्रदेश से भी कर्मचारी ला कर भरति की जा रही है। स्थानिय लोकल ड्रायबर आपरेटर, हेल्फर, सुपरवाईजर विगत् 10 से 15 वर्षो से कुसमुण्डा खदान के अन्य आऊटसोर्सिग कम्पनियों में कार्य करते आ रहे है। अब उन सभी कम्पनियों की कार्य अवधि समाप्त हो चुका है, उक्त कार्य का टेन्डर निलकंढ़ एस जेबि को मिला है। परंतु निलकंढ़ एस जेबि के द्वारा स्थानिय कर्मचारियों की भर्ती नहीं कर रही है। जिसके कारण स्थानिय ड्रायवर कर्मचारियों में काफी आक्रोश है। वह बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो रही है। कुसमुण्डा खदान नियोजित आउटसोर्सिग कंपनी मिलकर एस जेबि में स्थानिय आउटसोर्सिग बेरोजगारो को रोजगार दिलाने के लिए SECL महाप्रबंधक और निलकंढ़ एस जेबि के प्रबंधक के साथ त्रिपति बारतालाप करा कर समस्या का समाधान करने की मांग की है. स्थानिय बेरोजगार ड्रायवर, आपरेटर, हेल्फर, सुपरवाईजर पांच दिवस के बाद SECL GM ऑफिस कुसमुण्डा का 02 सितम्बर 2024 को घेराव करेगें.
छत्तीसगढ़ी क्रांति सेना के अध्यक्ष दिलीप मिरी ने क्या कहा जाने
छत्तीसगढ़ी क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सीसीएल के नीलकंठ कंपनी पहले तो आउटसोर्सिंग बंद करें. भूस्थापित को पहली प्राथमिकता देने के साथ-साथ स्थानीय बेरोजगारों को भी रोजगार मिलना चाहिए. और जो 200 कर्मचारियों को 2 महीने पहले बैठाया गया है. उन्हें पुणे नौकरी पर लिया जाए. और कंपनी द्वारा 2 महीने की वेतन का भी भुगतान किया जाए. नहीं तो पांच दिवस के भीतर कुसमुंडा खदान के GM हाउस का घेराव करेंगे. आप सोच भी नहीं सकते जब एक मजदूर को नौकरी से निकलने के बाद उसी घर की स्थिति क्या होती है घर में बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेकर राशन पानी की किल्लत होती है. कई दिन और रात भूखे पेट सोना पड़ जाता है मजदूरों का इस तरह का शोषण बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.