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गिरफ्तारी के बाद आरोपी के अधिकार, जानिए संविधान और कानून की प्रमुख बातें

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भारत के संविधान और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CrPC) में हर नागरिक के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद उसे कुछ अधिकार दिए गए हैं, जिन्हें पुलिस या अन्य अधिकारी नजरअंदाज नहीं कर सकते। यह अधिकार व्यक्ति को न्यायसंगत प्रक्रिया का हिस्सा बनने में सहायता प्रदान करते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं गिरफ्तारी के बाद आरोपी के महत्वपूर्ण अधिकारों के बारे में।

गिरफ्तारी के कारण जानने का अधिकार

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22(1) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 47 के तहत, किसी भी आरोपी को गिरफ्तारी के समय यह जानने का अधिकार है कि उसे किस अपराध के लिए गिरफ्तार किया जा रहा है। पुलिस अधिकारी इस जानकारी को देने के लिए बाध्य हैं।इसके अलावा, आरोपी को यह जानने का भी अधिकार है कि उसके खिलाफ दर्ज अपराध जमानती है या गैर-जमानती।

परिवार या परिचित को सूचना देना अनिवार्य

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 48 के तहत, गिरफ्तारी के बाद जांच अधिकारी का यह दायित्व होता है कि वह आरोपी के परिवार, मित्र या वकील को गिरफ्तारी की सूचना दे। यह अधिकार आरोपी के परिजनों को तुरंत स्थिति की जानकारी देने के लिए बनाया गया है, ताकि आवश्यक कानूनी सहायता समय पर प्राप्त हो सके।

वकील से सलाह लेने का अधिकार

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 38 के अनुसार, किसी भी आरोपी को पुलिस पूछताछ के दौरान अपने वकील से परामर्श लेने का अधिकार है। यह प्रावधान आरोपी को उचित कानूनी सलाह लेने का अवसर प्रदान करता है, जिससे उसके अधिकारों की रक्षा हो सके।

न्यायसंगत प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करना

गिरफ्तारी के बाद आरोपी को मानवाधिकारों के तहत न्यायसंगत प्रक्रिया का हिस्सा बनाने की व्यवस्था की गई है। पुलिस अधिकारी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आरोपी को कोई शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना न दी जाए।

विशेषज्ञ की राय

कोरबा जिले के अधिवक्ता रघुनंदन सिंह ठाकुर ने इस विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि आरोपी के ये अधिकार भारतीय न्याय प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पुलिस और प्रशासन को इनका पालन करना अनिवार्य है।

गिरफ्तारी के बाद आरोपी के अधिकार, संविधान और कानून में स्पष्ट रूप से निर्धारित किए गए हैं। इन अधिकारों का पालन न केवल आरोपी को न्याय दिलाने में सहायक है, बल्कि यह पुलिस प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। समाज में इन प्रावधानों के प्रति जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है, ताकि हर नागरिक अपने अधिकारों के प्रति सजग रहे।

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