बालको ने अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस को धूमधाम से मनाते हुए अपने कर्मचारियों के बहुमुखी योगदान का जश्न मनाया। यह अवसर पुरुषों की पारंपरिक छवि से आगे बढ़कर उनके करुणा, रचनात्मकता और विविध पहचानों का सम्मान करने का था।
अक्सर पुरुषों को ताकत और धैर्य का प्रतीक माना जाता है, लेकिन उनके जीवन की कहानियां इन रूढ़ियों से कहीं आगे की हैं। बालको ने इस दिवस को ऐसे सभी कर्मचारियों की सराहना के लिए समर्पित किया जो अपनी भूमिकाओं में अलग-अलग पहचान और अनुभव लाते हैं।
विविध भूमिकाओं में प्रेरणा के स्रोत
विकास महंत – सेवा का प्रतीक
बालको अस्पताल के मरीज अटेंडर विकास महंत ने कहा, “मरीजों की सेवा करना मुझे सच्ची खुशी देता है। उनकी मुस्कान मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है।” उनकी निस्वार्थ सेवा यह संदेश देती है कि देखभाल किसी के जीवन को बेहतर बना सकती है।
आर. प्रदीप पांडिकर – आतिथ्य में मानवता
प्लांट कैंटीन के सुपरवाइजर आर. प्रदीप पांडिकर ने बताया कि आतिथ्य केवल व्यवस्था करना नहीं, बल्कि आपसी जुड़ाव और सेवा का माध्यम है। उनके अनुसार, “मेरे लिए आगंतुकों के चेहरे की मुस्कान सबसे बड़ी उपलब्धि है।”
अंकुर सरकार – पालतू जानवरों के प्रति प्रेम
ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस असिस्टेंट मैनेजर अंकुर सरकार अपने पालतू जानवरों के साथ गहरा जुड़ाव रखते हैं। उनका कहना है, “मेरे पालतू जानवर मुझे बिना शर्त प्यार देते हैं और मुझे जीवन में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं।”
हरीश देवांगन – कला से सुकून
सीनियर प्रोसेस टेक्नीशियन हरीश देवांगन के लिए कला जीवन का साथी है। वह कहते हैं, “मेरी पेंटिंग्स मुझे धैर्य और रचनात्मकता सिखाती हैं। यह शौक मेरी पहचान का हिस्सा बन चुका है।”
जीत सिंह नेगी – स्वाद का जादूगर
जीईटी हॉस्टल की रसोई के चीफ शेफ जीत सिंह नेगी ने कहा, “खाना बनाना मेरी खुशी है। रोजाना 200 से अधिक लोगों को स्वादिष्ट भोजन परोसकर मुझे आत्मसंतुष्टि मिलती है।”
हीरामणि वैष्णव – कविताओं में जीवन
बालको पॉटलाइन के हीरामणि वैष्णव ने बताया कि उनकी कविताएं उनके काम से प्रेरित हैं। “कविता मेरे लिए आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम है, जो अब मेरे साथियों की प्रेरणा बन गई है।”
समावेशिता और समानता का संदेश
इस आयोजन में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से पुरुष कर्मचारियों की बहुमुखी पहचान को उजागर किया गया। बालको ने अपने समावेशी कार्यस्थल और समानता की संस्कृति को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
बालको ने यह संदेश दिया कि हर व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण है, और उनके काम और पहचान का सम्मान करना ही सच्ची समावेशिता की ओर बढ़ने का मार्ग है।