छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में किंग कोबरा जैसे दुर्लभ और विलुप्ति की कगार पर खड़े जीवों के संरक्षण के लिए एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। कोरबा वनमंडल, स्थानीय संस्थाओं और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा इस दिशा में पिछले साल से अध्ययन किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य न केवल किंग कोबरा की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, बल्कि वन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों को वन्यजीव संरक्षण के लिए कौशल विकास में प्रशिक्षित करना भी है।
कोरबा वनमंडल के मार्गदर्शन में, नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी ने कई कार्यशालाएं आयोजित की हैं। इन कार्यशालाओं में विभिन्न वन क्षेत्रों जैसे लेमरू, अजगरबहार, कुदमुरा, पेसरखेत, करतला के गांवों में जाकर ग्रामीणों से संवाद किया गया और ऐसे लोगों की पहचान की गई जो इस अभियान में शामिल होना चाहते हैं। इन कार्यशालाओं में ग्रामीणों को किंग कोबरा के संरक्षण में उनकी भूमिका के बारे में जागरूक किया गया और उन्हें वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व के महत्व के बारे में बताया गया।
कोरबा वनमंडल के डीएफओ अरविंद पीएम और उप वनमण्डलाधिकारी आशीष खेलवार के मार्गदर्शन में नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी ने एक प्रमुख कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें ग्रामीणों को किंग कोबरा के संरक्षण से जुड़ी जानकारी दी गई। इस कार्यशाला का उद्देश्य वन्यजीवों के प्रति समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देना था। कार्यशाला के मुख्य अतिथि, श्री सूर्यकांत सोनी ने बताया कि किंग कोबरा एक अत्यंत दुर्लभ प्रजाति है, और यदि इसे संरक्षित नहीं किया गया, तो वह दिन दूर नहीं जब यह विलुप्त हो जाएगी। उन्होंने कोरबा जिले के लिए गर्व की बात बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में ऐसा दुर्लभ जीव मौजूद है और इसे बचाने का मौका है।
नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी से जुड़े सूरज ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 42 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं, जिनमें से केवल तीन प्रजातियां ही जहरीली हैं और जिनके काटने से यदि समय पर इलाज न मिले तो मृत्यु हो सकती है। उन्होंने सर्पों की पहचान, विषैले और विषहीन सांपों के बीच अंतर, और सर्प दंश के दौरान अपनाए जाने वाले प्रोटोकॉल्स के बारे में जानकारी दी।
कार्यशाला में यह भी बताया गया कि राज्य में पिछले दो वर्षों में लगभग 1500 सर्प दंश के मामले दर्ज हुए हैं, जो कि एक गंभीर समस्या है। सीनियर बायोलॉजिस्ट मयंक बागची ने गांव वालों को सर्प दंश के प्राथमिक उपचार के तरीकों के बारे में बताया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को अपने समुदाय में जागरूकता फैलाने के लिए तैयार करना था, ताकि वे वन्यजीव और मानव के बीच के द्वंद्व को कम करने में सहायक बन सकें।
कार्यक्रम के अंत में, कम्युनिटी एवं रेस्क्यू टीम के प्रमुख, जितेंद्र सारथी ने वन विभाग के साथ इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी की भागीदारी के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने यह भी कहा कि वन्यजीव संरक्षण में उनकी टीम आगे भी पूरी निष्ठा के साथ कार्य करती रहेगी।
इस कार्यक्रम में वन विभाग के अधिकारियों में एसडीओ आशीष खेलवार, एसडीओ सूर्यकांत सोनी के साथ ही नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के प्रमुख सदस्यों में एम सूरज, मोइज अहमद, मयंक बागची, सिद्धांत जैन और जितेंद्र सारथी उपस्थित रहे। साथ ही, सभी रेंज के स्टाफ ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
यह पहल कोरबा जिले को किंग कोबरा के संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ग्रामीणों और वन्यजीव संरक्षण के बीच एक सेतु का निर्माण करते हुए, यह कार्यक्रम वन्यजीवों के संरक्षण के महत्व को समझाने और सामुदायिक स्तर पर उनकी सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सफल रहा है।