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फ्लोरा मैक्स का घोटाला: महिलाओं को आत्मनिर्भरता का सपना दिखाकर बनाया कर्जदार, अरबों की ठगी का शक

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छत्तीसगढ़/कोरबा. ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का सपना दिखाकर कर्ज के जाल में फंसाने का एक बड़ा मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत गोढ़ी, बेंदरकोना, कोरकोमा और केरवा की महिलाओं ने फ्लोरा मैक्स कंपनी और इसके एजेंटों पर साजिशन ठगी करने का आरोप लगाया है। बताया गया कि महिलाओं के नाम पर अलग-अलग बैंकों और फाइनेंस कंपनियों से करीब डेढ़ करोड़ रुपए का लोन लिया गया, जिसके बाद उन्हें किस्तें चुकाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

यह घोटाला केवल इन चार गांवों तक सीमित नहीं है। अन्य ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं भी इस ठगी का शिकार हो सकती हैं, जिससे मामला अरबों तक पहुंचने की आशंका है। महिलाओं ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को इस घोटाले की शिकायत दर्ज कराई है और संबंधित एजेंटों और संचालकों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की है।

कैसे रची गई ठगी की साजिश?

एक वर्ष पूर्व नीता भारद्वाज नाम की महिला ने इन गांवों का दौरा किया और खुद को फ्लोरा मैक्स की कर्मचारी बताया। उसने गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और आय बढ़ाने का लालच देकर उनके आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज जमा कराए। इन दस्तावेजों का इस्तेमाल बैंकों और फाइनेंस कंपनियों से लोन लेने के लिए किया गया।

शुरुआत में कंपनी ने ब्याज और लोन की किस्तें जमा कर दीं, लेकिन कुछ समय बाद यह भुगतान रोक दिया गया। अब महिलाएं इस लोन की जिम्मेदारी खुद उठाने को मजबूर हैं।

समाज विशेष को बनाया निशाना

इस ठगी का शिकार खासकर समाज विशेष की महिलाएं हुई हैं। अधिकतर महिलाएं अशिक्षित और आर्थिक रूप से कमजोर थीं, जिनके नाम का फायदा उठाया गया।

कई सफेदपोश आ सकते हैं जांच के घेरे में

प्रारंभिक जांच में फ्लोरा मैक्स के संचालक अखिलेश सिंह और एजेंट नीता भारद्वाज का नाम सामने आया है। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि इस घोटाले में कई अन्य सफेदपोश शामिल हो सकते हैं। लोन की राशि का अधिकांश हिस्सा कहां गया, इसका अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।

बैंकों और कंपनियों की भूमिका पर भी सवाल

गांव की महिलाओं के नाम पर लोन देने वाली फाइनेंस कंपनियां और बैंकों की कार्यप्रणाली भी शक के घेरे में है। इन महिलाओं को पहल बैंक, जना बैंक, एचडीएफसी, सूर्य उदय, भारत फाइनेंस जैसी कई कंपनियों से लोन मिला। कुछ महिलाओं के नाम पर एक से नौ बैंकों से लोन लिया गया।

विशेषज्ञों का कहना है कि एक बैंक में लोन चुकता न होने पर दूसरे बैंक से लोन मिलना मुश्किल होता है। इस मामले में अनापत्ति प्रमाण पत्र की अनदेखी की गई, जो किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है।

प्रशासन की भूमिका पर भी उठे सवाल

पुलिस और प्रशासन की लापरवाही ने इस घोटाले को बढ़ावा दिया। पहले भी इस कंपनी पर फर्जीवाड़े के आरोप लगे थे, लेकिन कोई ठोस जांच नहीं की गई। इससे महिलाओं की संख्या बढ़ती चली गई, जो इस ठगी का शिकार बनीं।

फ्लोरा मैक्स घोटाला महिलाओं की मजबूरी और अशिक्षा का लाभ उठाने का एक बड़ा उदाहरण है। इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जरूरत है, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और ग्रामीण महिलाओं को न्याय।

क्या यह मामला चिटफंड से भी बड़ा घोटाला बन सकता है? यह जांच का विषय है।

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