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कलेक्टर की प्रेरणा ने बदल दी पहाड़ी कोरवा ममता की तकदीर: संघर्ष से सफलता तक की प्रेरणादायक कहानी

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छत्तीसगढ़. जब कोरबा के आंछीमार गांव की पहाड़ी कोरवा समाज की ममता अपने जीवन की उलझनों में फंसी थी, तब उसे एक ऐसा संयोग मिला जिसने उसकी पूरी जिंदगी को बदल दिया। कक्षा 11वीं में विषय चयन को लेकर दुविधा में फंसी ममता के घर एक दिन अचानक कोरबा के कलेक्टर पी दयानंद आ पहुंचे। उनकी यह मुलाकात ममता के लिए जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुई।

कलेक्टर से मिली प्रेरणा: शिक्षा की ओर एक नई शुरुआत

ममता उस समय अपनी शिक्षा को लेकर अनिश्चितता में थी। कलेक्टर पी दयानंद ने न केवल ममता को प्रोत्साहित किया, बल्कि एक शिक्षक की तरह उसे विषय चयन के बारे में समझाया और उसके भीतर भविष्य के सपनों को आकार दिया। बायोलॉजी विषय चुनने की सलाह के साथ, उन्होंने ममता से कहा कि उसे पहाड़ी कोरवा समाज की बेटियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनना है। कलेक्टर की इन बातों ने ममता के जीवन को नई दिशा दी।

संघर्ष की कहानी से बनी सफलता की मिसाल

ममता ने कलेक्टर से मिले मार्गदर्शन को आत्मसात करते हुए बायोलॉजी से 11वीं और 12वीं पास की, और फिर बीएससी, डीसीए और एमए की पढ़ाई पूरी की। कलेक्टर के मार्गदर्शन ने ममता को वह आत्मविश्वास दिया, जिससे वह शिक्षिका बनकर समाज की सेवा कर सकी। आज ममता प्राथमिक शाला चीतापाली में प्रभारी प्रधानपाठक के रूप में बच्चों को शिक्षा का प्रकाश दे रही हैं।

परिवार और समाज की सोच में परिवर्तन

पहाड़ी कोरवा समाज में जहां लड़कियां 5वीं या 8वीं कक्षा तक पढ़कर विवाह कर लेती थीं, ममता ने इस परंपरा को तोड़ा। कलेक्टर के समर्थन और माता-पिता की सहमति से ममता को हॉस्टल में स्थान मिला और उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। ममता की इस सफलता से प्रेरित होकर समाज के अन्य लोग भी अब अपने बच्चों को शिक्षा की ओर प्रेरित कर रहे हैं।

शिक्षा और शिक्षक की महत्ता

ममता का कहना है, “मैं जो कुछ भी हूं, वह शिक्षा की वजह से हूं। अगर मैंने पढ़ाई छोड़ दी होती, तो आज शायद मैं जंगलों में बकरी चरा रही होती। लेकिन अब मेरे पास एक स्थिर नौकरी है, हर महीने वेतन मिल रहा है, और मैं आत्मनिर्भर हूं।” ममता ने अपने वेतन से स्कूटी और घर के लिए जरूरी सामान भी खरीदा है, जो उनके जीवन में आर्थिक स्थिरता और आत्मसम्मान की भावना लाता है।

सपने साकार करने की कहानी

ममता ने बताया कि उन्होंने अपने लिए एक 12वीं पास लड़के से विवाह किया, जो अतिथि शिक्षक के रूप में काम कर रहा है। ममता का मानना है कि शिक्षा और संघर्ष से उनके जीवन में बेहतर अवसर आए हैं और वे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक बेहतर भविष्य की नींव रख रही हैं।

समाज के लिए प्रेरणा

ममता अब अपने समाज के बच्चों को स्कूल जाने और पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करती हैं। वह मानती हैं कि अगर शिक्षा का सही मार्गदर्शन मिले, तो हर व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है।

ममता की यह कहानी सिर्फ उनके जीवन की नहीं है, बल्कि यह शिक्षा और सही मार्गदर्शन के बल पर गरीबी और संघर्ष से निकलकर सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचने की प्रेरणादायक कहानी है। कलेक्टर पी दयानंद द्वारा दिए गए प्रोत्साहन ने ममता के जीवन में वह परिवर्तन लाया, जिसने उसे अपने समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बना दिया है।

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