श्रीमद् भागवत कथा के व्याख्याकार आचार्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि समाज का परिवर्तन शस्त्र से नहीं, बल्कि शास्त्र से संभव है। महर्षि वाल्मीकि के अतीत का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि अच्छे विचारों और आचरण से ही जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। श्रीराम धर्म के सभी लक्षणों का प्रतीक हैं।
मेहर वाटिका, कोरबा में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान आचार्य भारद्वाज ने धर्म के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए कहा कि इसका मकसद मानव जीवन को सही दिशा में जीने की शिक्षा देना है। उन्होंने सनातन धर्म की सहस्त्र वर्षों की परंपरा पर जोर दिया और कहा कि सृष्टि की उत्पत्ति मनु और शतरूपा से हुई है, जो शाश्वत सत्य है।
छत्तीसगढ़ और देश के अन्य हिस्सों में बढ़ते धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि ऐसे संकटों से निपटने के लिए समाज को जागरूक रहना आवश्यक है।
आचार्य भारद्वाज, जो विज्ञान और पत्रकारिता में स्नातकोत्तर हैं, ने डिजिटल क्रांति के प्रभावों पर भी विचार रखे और लोगों से सचेत रहने का आह्वान किया। इस अवसर पर ठंडूराम परिवार और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।