बालकोनगर. वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने छत्तीसगढ़ में हरेली उत्सव के अवसर पर ‘मोर जल मोर माटी’ परियोजना के तहत ‘लेट्स डू रोपाई’ कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से अवगत कराना और सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा देना था। बालको के 50 से अधिक कर्मचारियों ने 4.5 एकड़ खेत में धान की रोपाई की, जिससे न केवल किसानों की श्रम लागत में 15 प्रतिशत की कमी आई बल्कि एसआरआई (सिस्टम फॉर राइस इंटेंसिफिकेशन) तकनीक के माध्यम से उनकी उपज में भी वृद्धि की संभावना बनी।
छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार कृषि चक्र की शुरुआत का प्रतीक है, और इसे किसान बड़े धूमधाम से मनाते हैं। छत्तीसगढ़ को ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है, और इस साल बालको ने अपने कर्मचारियों को किसानों के साथ मिलकर धान की रोपाई में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। इस पहल से कर्मचारियों और किसानों के बीच एकजुटता की भावना बढ़ी, और पारंपरिक खेती के तरीकों से इतर नई तकनीकों को अपनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और निदेशक राजेश कुमार ने इस अवसर पर कहा, “बालको किसानों का हरसंभव सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘लेट्स डू रोपाई’ अभियान हमारे कर्मचारियों की सामुदायिक सेवा और कंपनी की किसानों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ‘मोर जल मोर माटी’ परियोजना के माध्यम से हम किसानों को एसआरआई विधि समेत आधुनिक कृषि पद्धतियों में प्रशिक्षित कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना है, जिसमें कृषि और स्थायी आजीविका के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी ढांचे का विकास भी शामिल है।”
बालको ने पूरे साल में लगभग 2,300 छोटे और सीमांत किसानों को एसआरआई विधि में प्रशिक्षित किया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। पारंपरिक खेती में कई समस्याएं आती हैं जैसे खरपतवार, पोषक तत्वों की कमी, पानी की समस्या और कीटों का प्रकोप। लेकिन एसआरआई तकनीक से धान की जड़ों का मजबूत विकास होता है, जिससे पौधों की सेहत में सुधार होता है और कीट-पतंगों की समस्या में भी कमी आती है। इससे धान के उत्पादन में 20-30 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है।
बुंदेली गांव के किसान धनसाय पटेल ने एसआरआई तकनीक से हुए लाभ के बारे में बताते हुए कहा, “एसआरआई तकनीक का प्रशिक्षण हमारे लिए बेहद लाभकारी रहा है। इस विधि को अपनाने से हमारे धान उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और यह पारंपरिक तरीकों की तुलना में कहीं बेहतर है।”
इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले बालको कर्मचारी सार्थक पटेल ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “किसानों के साथ काम करना एक अद्भुत अनुभव था। इस अभियान के माध्यम से खेती के बारे में जानने का मौका मिला, और अपनी नौकरी के बाहर भी सकारात्मक प्रभाव डालने का अवसर मिला।”
बालको की ‘मोर जल मोर माटी’ परियोजना 32 गांवों में 1,400 एकड़ से अधिक भूमि और 4,749 किसानों तक अपनी पहुंच बना चुकी है। इस परियोजना के तहत 80 प्रतिशत से अधिक किसानों ने एसआरआई, ट्रेलिस, जैविक खेती, जलवायु अनुकूल फसल, सब्जी और गेहूं की खेती जैसी आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाया है। इसके अलावा, लगभग 15 प्रतिशत किसान कृषि के साथ-साथ पशुपालन, बागवानी और वनोपज जैसी आजीविका बढ़ाने वाली गतिविधियों से भी जुड़े हुए हैं। इस परियोजना के तहत किसानों की औसत वार्षिक आय में वृद्धि हुई है, साथ ही उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि और लागत में 40 प्रतिशत की कमी आई है।
बालको की इस पहल ने न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है बल्कि उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों से भी जोड़ा है। इस प्रकार के सामुदायिक कार्यक्रमों से समाज में एकजुटता और सहयोग की भावना मजबूत होती है, जिससे समग्र विकास की दिशा में कदम बढ़ते हैं। बालको का यह प्रयास आने वाले समय में भी किसानों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता रहेगा।