छत्तीसगढ़/कोरबा. हाल ही में कोरबा की रूमगरा एयर स्ट्रिप पर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के विमान की लैंडिंग के दौरान हुई घटना ने राज्य में हलचल मचा दी है। इस विमान में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह, और अन्य वीआईपी व्यक्तियों की जान खतरे में पड़ गई थी। हालांकि, पायलट की सूझबूझ से एक बड़ा हादसा टल गया, लेकिन इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
19 सितंबर 2024 को छत्तीसगढ़ राज्य का एक विमान रूमगरा एयर स्ट्रिप पर उतरा। लैंडिंग के दौरान विमान असंतुलित होकर लड़खड़ाया, जिसमें वित्त मंत्री ओपी चौधरी और अन्य वीआईपी लोग मौजूद थे। बताया गया कि पायलट ने जैसे ही एयर स्ट्रिप पर विमान को उतारा, तकनीकी खामी के कारण विमान लड़खड़ाने लगा। यह देखकर पायलट ने तत्काल विमान को फिर से हवा में उठाने का फैसला किया।विमान ने 5 मिनट तक आकाश में चक्कर लगाया और फिर दोबारा लैंडिंग की। इस बार भी विमान असंतुलित होकर हिचकोले खाते हुए उतरा, लेकिन पायलट ने सूझबूझ से दुर्घटना को टाल दिया। इस दौरान, विमान में सवार सभी लोग बेहद घबराए हुए थे। घटना के बाद वित्त मंत्री ने एयर स्ट्रिप की बदहाली पर नाराजगी जताई और तुरंत जांच के आदेश दिए।
सुबह और दोपहर के बीच का विरोधाभास
इस घटना के सबसे दिलचस्प पहलुओं में से एक यह है कि उसी दिन सुबह 9:30 बजे एक और विमान कोरबा की रूमगरा एयर स्ट्रिप पर सुरक्षित तरीके से उतरा था। उस समय किसी प्रकार की तकनीकी समस्या का सामना नहीं हुआ। लेकिन, दोपहर 2 बजे, जब वीआईपी यात्रियों को लेकर दूसरा विमान आया, तो अचानक एयर स्ट्रिप की खामियां सामने आने लगीं।
यह सवाल उठता है कि जब सुबह लैंडिंग के दौरान कोई समस्या नहीं थी, तो दोपहर की लैंडिंग के समय यह खामी क्यों और कैसे सामने आई? क्या यह प्रशासनिक चूक थी या एयर स्ट्रिप के रखरखाव में कोई समस्या थी जो समय रहते पकड़ी नहीं गई?
घटना के बाद, कोरबा कलेक्टर अजित वसंत ने तत्काल छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल (CSEB) और बालको प्रबंधन को नोटिस जारी कर तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा। बालको प्रबंधन पिछले 24 वर्षों से एयर स्ट्रिप का रखरखाव कर रहा है। कलेक्टर ने आरोप लगाया कि एयर स्ट्रिप की खराब स्थिति के कारण यह हादसा हुआ।
मुख्य सवाल और विश्लेषण
सुबह और दोपहर के बीच क्या बदला?
सुबह की लैंडिंग में कोई खामी नहीं थी, फिर दोपहर 2 बजे की लैंडिंग में अचानक ये खामियां क्यों दिखीं? क्या एयर स्ट्रिप में अचानक कोई तकनीकी गड़बड़ी हुई या यह किसी अदृश्य चूक का परिणाम था?
तकनीकी खामी का पता क्यों नहीं चला?
यदि सुबह कोई समस्या नहीं थी, तो क्या एयर स्ट्रिप की स्थिति का सही से आकलन नहीं किया गया? क्या एयर स्ट्रिप की नियमित जांच में कोई लापरवाही बरती गई थी?
सुबह 9:30 बजे हुई लैंडिंग के बाद, एयर स्ट्रिप की स्थिति की जांच क्यों नहीं की गई? क्या प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया कि प्लेन दोबारा आएगा और वीआईपी यात्री इसमें सवार होंगे?
बालको प्रबंधन के खिलाफ साजिश?
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना बालको प्रबंधन के खिलाफ एक साजिश हो सकती है। कोरबा जिला, विशेषकर बालको, हमेशा से ही राजनीतिक दबाव और आर्थिक लाभ का केंद्र रहा है। बालको में हो रहे हजारों करोड़ों रुपये के विनिवेश ने इसे सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बनाए रखा है।
सवाल और संदेह
पायलट की लापरवाही या मजबूरी? यदि पायलट को एयर स्ट्रिप में तकनीकी खामी की जानकारी थी, तो उसने विमान को लैंड क्यों किया? क्या उसने वीआईपी यात्रियों की जान खतरे में नहीं डाली?
प्रशासन की चूक? एयर स्ट्रिप का निरीक्षण करने में प्रशासन ने लापरवाही क्यों की? क्या प्रशासन ने पायलट को एयर स्ट्रिप की खामियों के बारे में सूचित नहीं किया?
बालको प्रबंधन के खिलाफ राजनीतिक साजिश? क्या यह घटना बालको प्रबंधन के खिलाफ किसी राजनीतिक या प्रशासनिक षड्यंत्र का हिस्सा थी, ताकि प्रबंधन पर दबाव बनाया जा सके?
पायलट के खिलाफ कार्रवाई? पायलट के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जिसने तकनीकी खामी के बावजूद विमान की लैंडिंग की और वीआईपी यात्रियों की जान खतरे में डाली?
रूमगरा एयर स्ट्रिप पर हुए इस कांड ने न केवल छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि बालको प्रबंधन के खिलाफ साजिश के कयास भी लगाए जा रहे हैं। इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है, ताकि सच्चाई सामने आए और यह स्पष्ट हो सके कि यह महज एक हादसा था या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक साजिश थी।
अब देखना यह होगा कि इस जांच से क्या निष्कर्ष निकलता है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है। यह घटना राज्य की सुरक्षा और प्रशासनिक दक्षता पर भी सवाल खड़े करती है।