कोरबा. छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (सीएसईबी) ने राख परिवहन में गड़बड़ी और फर्जी पर्चियों के इस्तेमाल के आरोप में हेम्स कॉर्पोरेशन सर्विस इंडिया लिमिटेड को एक साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया है। इस दौरान कंपनी सीएसईबी की किसी भी निविदा में भाग नहीं ले सकेगी। शारदा विहार, कोरबा से संचालित यह कंपनी अब सवालों के घेरे में है।
फर्जी पर्चियों से बड़ा फर्जीवाड़ा
सीएसईबी की जांच में खुलासा हुआ कि हेम्स कॉर्पोरेशन ने राख परिवहन के लिए फर्जी पर्चियों का इस्तेमाल किया। इस गड़बड़ी से कंपनी को अनुचित लाभ मिला। जांच में दस्तावेज और शिकायतें सही पाए जाने पर सीएसईबी ने यह सख्त कदम उठाया।
अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन
हेम्स कॉर्पोरेशन पर पहले से ही अनुबंध की शर्तें पूरी न करने और सुरक्षा जमा राशि न देने का आरोप था। हालांकि, बाद में कंपनी ने सुरक्षा राशि जमा कर दी और काम शुरू करने की बात कही। इसके बावजूद सीएसईबी ने कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का फैसला बरकरार रखा।
निषेध जारी, आगे की जांच की तैयारी
फिलहाल, हेम्स कॉर्पोरेशन समान प्रकृति के तीन कार्यों की निविदाओं में भाग नहीं ले सकेगी। सीएसईबी ने संकेत दिया है कि फर्जी पर्चियों के मामले की गहराई से जांच की जाएगी और जरूरत पड़ने पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
सीएसईबी की प्रक्रिया पर सवाल
यह मामला सीएसईबी की आंतरिक प्रक्रिया और निगरानी पर भी सवाल खड़े करता है। क्या यह सिर्फ कंपनी की गलती थी, या सीएसईबी के अधिकारियों की अनदेखी का भी इसमें योगदान है?
राख से बढ़ता प्रदूषण और कोरबा की समस्या
कोरबा पहले से ही देश के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल है। राख परिवहन में हुई इस गड़बड़ी से साफ है कि प्रशासनिक लापरवाही न सिर्फ पर्यावरण, बल्कि स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है। बारिश और तेज हवाओं के दौरान यही राख हवा में उड़कर लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल कर देती है।
जरूरत है सख्त निगरानी की
यह घटना दिखाती है कि सरकारी अनुबंधों में पारदर्शिता और सख्त निगरानी की आवश्यकता है। सीएसईबी की कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन इससे जुड़े बड़े सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं। राख परिवहन जैसी गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण और जिम्मेदारी सुनिश्चित करना अब समय की मांग है।