कोरबा. कोरबा जिला में प्रशासनिक हलचल एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गई है। पंचायत उप संचालक जूली तिर्की का तबादला बिलाईगढ़-सारंगढ़ जिले में हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें कोरबा में बनाए रखने के लिए कलेक्टर ने शासन को पत्र लिखा है। यह मामला प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
तबादला और रुकवाने की कवायद
छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने जूली तिर्की का तबादला कार्यालय उप संचालक पंचायत, बिलाईगढ़-सारंगढ़ में कर दिया है। लेकिन कोरबा के कलेक्टर ने चुनावी तैयारियों और प्रशासनिक मजबूरियों का हवाला देते हुए उन्हें आगामी पंचायत आम निर्वाचन 2024-25 तक कोरबा में बनाए रखने की मांग की है।
कलेक्टर के पत्र में उल्लेख है कि वर्तमान में कोरबा जिला केंद्र सरकार की आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल है। इसके साथ ही, पंचायत आम चुनाव 2024-25 के तहत परिसीमन और आरक्षण की प्रक्रिया में उप संचालक की प्रमुख भूमिका है। ऐसे में उप संचालक को भारमुक्त करने से प्रशासनिक और चुनावी कार्यों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
तबादले के बाद भी क्यों नहीं भेजा गया एवजी अधिकारी?
कलेक्टर ने अपने पत्र में यह भी कहा कि जूली तिर्की के स्थान पर अभी तक किसी अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है। छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों के अनुसार, जब तक एवजी अधिकारी की उपस्थिति सुनिश्चित नहीं होती, तब तक किसी अधिकारी को कार्यमुक्त नहीं किया जाना चाहिए।
इस तर्क के बावजूद, सवाल उठता है कि तबादला आदेश के बावजूद उनके स्थान पर नया अधिकारी क्यों नहीं भेजा गया? क्या यह प्रशासनिक उदासीनता है, या इसके पीछे कोई और कारण है?
चुनाव और प्रशासनिक संतुलन की चुनौती
आगामी पंचायत आम निर्वाचन के मद्देनजर प्रशासनिक संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में कलेक्टर का पत्र लिखना इस बात को दर्शाता है कि चुनावी तैयारियों के लिए अधिकारियों की अनुपस्थिति एक गंभीर मुद्दा बन सकती है।
यह मामला केवल एक तबादले का नहीं, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और निर्णय प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है। जूली तिर्की को कोरबा में बनाए रखने की कोशिशों ने प्रशासन और राजनीति के बीच की गहरी कड़ी को उजागर कर दिया है। अब देखना यह है कि शासन इस पर क्या निर्णय लेता है और क्या चुनावी तैयारियों के नाम पर यह मामला और उलझता है या समाधान की ओर बढ़ता है।