KORBA: नवरात्रि का माहौल पूरे शहर में भक्ति और उत्साह से भरा हुआ था। हर तरफ लोग माता रानी के दर्शन और गरबा उत्सव में मशगूल थे। इसी बीच गेवरा घाट निवासी पुरुषोत्तम मलिक के साथ एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने सबकी सांसें रोक दीं। उनकी जिंदगी कुछ पलों में ऐसे मोड़ पर आ खड़ी हुई, जहां एक तरफ मौत थी, तो दूसरी ओर भाग्य की एक अजीबोगरीब खेल। चलती स्कूटी में अचानक एक जहरीला करैत सांप सामने आ गया, और फिर जो हुआ, वह किसी रोमांचक फिल्म के दृश्य से कम नहीं था।
पुरुषोत्तम मलिक अपने परिवार के साथ नवरात्रि के अवसर पर मंदिर में दर्शन के लिए गए थे। जैसे ही वे मंदिर से लौटकर घर जाने के लिए स्कूटी पर सवार हुए, उनका ध्यान केवल अपने परिवार और घर पहुंचने पर था। सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन राम मंदिर के पास डी डी एम रोड पर पहुंचते ही कुछ ऐसा हुआ, जिसने उनकी जान जोखिम में डाल दी।
पुरुषोत्तम की स्कूटी तेजी से रास्ते पर दौड़ रही थी, जब अचानक उन्हें अपनी हथेली पर कुछ ठंडा महसूस हुआ। पहले तो उन्हें समझ नहीं आया कि यह क्या है, लेकिन जब उन्होंने हाथ की ओर ध्यान दिया, तो उनके होश उड़ गए। उनकी हथेली पर एक काले रंग का सांप रेंग रहा था। यह कोई सामान्य सांप नहीं था, बल्कि खतरनाक करैत था, जिसका जहर पल भर में इंसान की जान ले सकता है।
मौत को हाथ में महसूस करना
जैसे ही पुरुषोत्तम ने सांप को देखा, उनकी धड़कनें तेज हो गईं। उनकी सांसें जैसे रुक गईं और शरीर ठंडा हो गया। उन्होंने जल्दी से स्कूटी रोकने की कोशिश की और घबराहट में सांप को झटके से अपनी हथेली से हटा दिया। सांप, जो उनकी जान का दुश्मन बन सकता था, फिर से स्कूटी के वाइजर में जा छिपा।
इस पूरी घटना के दौरान, पुरुषोत्तम को यह समझ नहीं आ रहा था कि वे किस तरह अपनी जान बचाएं। लेकिन उनकी किस्मत ने उन्हें एक मौका और दिया। उन्होंने तुरंत स्कूटी को राम मंदिर के पास रोका, और वहां खड़े लोग भी घटना को देखकर हैरान रह गए। कुछ ही समय में, वहां भीड़ इकट्ठा हो गई, और सभी इस खतरनाक करैत सांप से डरने लगे।
रेस्क्यू ऑपरेशन का रोमांचक मोड़
घटना की जानकारी फौरन कोरबा के सर्प रेस्क्यू प्रमुख जितेंद्र सारथी को दी गई। जितेंद्र ने तुरंत लोगों को चेतावनी दी कि वे सांप के साथ कोई छेड़छाड़ न करें। उन्होंने पुरुषोत्तम से यह भी पूछा कि कहीं सांप ने काटा तो नहीं है। जब यह सुनिश्चित हो गया कि कोई नुकसान नहीं हुआ है, तब जितेंद्र ने मौके पर पहुंचने का वादा किया।
जब तक जितेंद्र वहां पहुंचे, तब तक लोगों की भीड़ स्कूटी के पास जमा हो चुकी थी। सांप की खौफनाक पहचान होते ही लोगों ने कहा, “यह करैत है, इसका काटा पानी नहीं मांगता!” जितेंद्र ने स्थिति का जायजा लिया और फिर सावधानी से सांप को निकालने का प्रयास शुरू किया। पेचकस और डिब्बा तैयार रखते हुए, वे धीरे-धीरे वाइजर को खोलने लगे। कुछ ही पलों में सांप सामने आ गया और जितेंद्र ने उसे बड़ी चतुराई से डिब्बे में बंद कर दिया।
सांप के सुरक्षित रेस्क्यू होने के बाद वहां मौजूद सभी लोगों ने राहत की सांस ली। पुरुषोत्तम के पिता की आंखों में आंसू थे। उन्होंने जितेंद्र सारथी को आशीर्वाद देते हुए कहा, “मेरे बेटे को नया जीवन मिला है। अगर कुछ हो जाता, तो मैं इस बुढ़ापे में जीते जी मर जाता।” जितेंद्र सारथी ने पुरुषोत्तम को सांप के खतरे से बचाया था, और इसके लिए परिवार हमेशा उनका आभारी रहेगा।
सावधानी का संदेश
घटना के बाद जितेंद्र सारथी ने सभी लोगों से अपील की कि वे अपनी स्कूटी, बाइक, और जूतों की अच्छी तरह से जांच कर लें, खासकर जब वे मंदिर या बाहर कहीं से लौट रहे हों। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी को सर्प दंश होता है, तो तुरंत सांप की तस्वीर खींचकर उन्हें भेजें, ताकि सही समय पर मदद पहुंचाई जा सके।