छत्तीसगढ़. कोरबा जिले के वनांचल ग्राम पंचायत सेंदुरगढ़ का एक हृदय विदारक वीडियो सामने आया है, जो शासन-प्रशासन के विकास के दावों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। पोंडी उपरोड़ा ब्लॉक में स्कूली बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हुए स्कूल जाते हैं। यह न केवल शासन की लापरवाही का प्रमाण है, बल्कि समाज के लिए एक कठोर आईना भी है।
आजादी के इतने वर्षों बाद भी यदि बच्चे शिक्षा के लिए इस तरह की जानलेवा परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, तो यह साफ दिखाता है कि सरकार की योजनाएं कागजों तक सीमित हैं। सेंदुरगढ़ का यह दृश्य प्रशासन की लापरवाही का प्रतीक है, जहां न तो बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है और न ही बुनियादी विकास।
वीडियो में देखा जा सकता है कि बच्चे बिना किसी सुरक्षा उपाय के तेज बहाव वाली नदी को सीढ़ी की मदद से पार करते हैं। इन बच्चों के लिए यह मार्ग न केवल खतरनाक है बल्कि शासन-प्रशासन की नीतियों की विफलता को उजागर करता है। बच्चों के पास यह जानलेवा मार्ग इसलिए अपनाने के अलावा कोई और चारा नहीं है क्योंकि यह उनके स्कूल पहुँचने का सबसे कम दूरी वाला रास्ता है।
नीतिगत विफलता का आईना
शासन द्वारा गाँव-गाँव में शिक्षा और विकास की नीतियों को बढ़ावा देने की बात की जाती है, लेकिन सेंदुरगढ़ का यह दृश्य इन दावों की पोल खोलता है। आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी, यदि बच्चों को इस तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, तो यह प्रशासन की असफलता का स्पष्ट प्रमाण है। जहाँ हर दिन की पढ़ाई एक संघर्ष बन जाए, वहां शासन की नीतियाँ केवल कागजों तक ही सीमित नजर आती हैं।
समाज के लिए एक आईना
यह स्थिति केवल प्रशासन की ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक आईना है। अगर हमारे देश के भविष्य, ये नौनिहाल, इस तरह की जोखिम भरी परिस्थितियों में पढ़ाई करने को मजबूर हैं, तो हमें अपनी विकास की परिभाषा पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
शासन की नीतियों और विकास योजनाओं का जब तक ज़मीन पर क्रियान्वयन नहीं होगा, तब तक ऐसे दृश्य हमें यह याद दिलाते रहेंगे कि असली विकास कागजों पर नहीं, धरातल पर होना चाहिए। इस घटना ने शिक्षा और सुरक्षा दोनों के प्रति प्रशासन की उदासीनता को उजागर किया है, और यह समय है कि इन नीतियों को लेकर गंभीर सवाल उठाए जाएं।