17 वर्षीय शीतल देवी ने 2024 पेरिस पैरालिंपिक में पैरालिंपिक तीरंदाजी की दुनिया में एक नई मिसाल कायम की है। बिना हाथों के जन्मी शीतल ने अपने असाधारण जज़्बे और मेहनत से एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जो न केवल अद्वितीय है बल्कि उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक भी है। अपनी इस तकनीक में वह धनुष उठाने के लिए अपने दाहिने पैर का, डोरी खींचने के लिए अपने दाहिने कंधे का और तीर छोड़ने के लिए अपने जबड़े की ताकत का उपयोग करती हैं। यह तरीका न केवल प्रभावशाली है बल्कि दर्शकों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।

शीतल का यह करतब, जो वह कुर्सी पर बैठकर इतनी सटीकता और खूबसूरती से करती हैं, मानो चलती हुई कविता हो। इस प्रदर्शन ने पेरिस पैरालिंपिक के दर्शकों का दिल जीत लिया। जैसे ही उन्होंने अपने पहले प्रयास में ही निशाना साधा, पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, जिससे उनकी इस उपलब्धि को सम्मान मिला।
Oh wowww… hear the crowd erupt 🤯 pic.twitter.com/lX3JsM5NSu
— Shekhar Dutt (@DuttShekhar) September 1, 2024
पेरिस पैरालिंपिक के दौरान शीतल ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सच्ची प्रतिभा और मेहनत के आगे शारीरिक सीमाएँ भी बौनी पड़ जाती हैं। उनके इस साहसिक प्रदर्शन ने न केवल उनके प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध किया बल्कि उन्हें इतिहास के पन्नों में अमर भी कर दिया है। शीतल की यह कहानी अब हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी, जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने के लिए तत्पर हैं।