कोरबा. समग्र शिक्षा कार्यालय कोरबा में वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान डीएमएफ (जिला खनिज निधि) और सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) से स्वीकृत लगभग 100 करोड़ रुपये के सामग्रियों की खरीदी और निर्माण कार्यों की फाइलें रहस्यमय तरीके से गायब हो गई हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इस मामले में अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, इस पूरे प्रकरण में उच्च अधिकारियों के दबाव की चर्चा जोरों पर है।
सूचना के अधिकार की अवहेलना
डीएमएफ और सीएसआर के तहत किए गए कार्यों की सूची, प्रशासकीय स्वीकृति आदेश, देयक वाउचर, निविदा प्रक्रिया, कोटेशन, क्रय प्रक्रिया और भौतिक सत्यापन पत्र आदि की जानकारी सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई थी। इसके जवाब में कार्यालय समग्र शिक्षा ने पत्र क्रमांक 327 दिनांक 13 मार्च 2024 को यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि पूर्व डीएमसी ने फाइलें उपलब्ध नहीं कराई हैं, इसलिए जानकारी देना संभव नहीं है।
भ्रष्टाचार पर मौन स्वीकृति
जहां अन्य विभागों में ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज कर जांच कमेटियां बिठाई जाती हैं, वहीं समग्र शिक्षा कार्यालय कोरबा में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि, आदिवासी विभाग में संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत 3 करोड़ रुपये की नस्ती गायब होने पर पूर्व सहायक आयुक्त के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई थी।
सूत्रों के अनुसार, सत्ता परिवर्तन के बाद भी तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा, जिनके कार्यकाल में यह अनियमितता हुई थी, को समग्र शिक्षा के निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त कर दिया गया। इसने सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसी साल पीएम श्री स्कूलों के लिए आवंटित राशि से वाद्य यंत्रों की खरीद बाजार से तीन गुना अधिक कीमत पर करने का मामला भी सामने आया था, लेकिन जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कार्यालय समग्र शिक्षा में कानून, आदेश और शिकायतों की अनदेखी अब आम बात हो गई है। सूत्र बताते हैं कि डीएमसी से ज्यादा एक चर्चित शाखा प्रभारी का प्रभाव है, जिनके इशारों पर पूरा कार्यालय चलता है। डीएमएफ, सीएसआर, पीएम श्री, सेजेस जैसी सभी महत्वपूर्ण शाखाओं पर इनका एकाधिकार है। सत्ता परिवर्तन के बाद भी इन पर कोई कार्रवाई न होना ऊपर तक गहरी पैठ और राजनीतिक संरक्षण की ओर इशारा करता है।
सीएम साहब से उम्मीद
हाल ही में सीएसईबी फुटबॉल ग्राउंड में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने डीएमएफ और कोयला अनियमितताओं पर कार्रवाई का भरोसा दिया था। हालांकि, शिकायतें सीएम हाउस तक पहुंचने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। क्या अब भी कोई कार्रवाई होगी या फाइलों का गायब होना रहस्य ही बना रहेगा?