कोरबा जिले के औद्योगिक क्षेत्र में लगभग 500 करोड़ों के खनिज न्यास मत होने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी देखी जा रही है। ग्राम पंचायत चाकामार में स्थित एक सरकारी स्कूल की दयनीय स्थिति इसका एक जीता-जागता उदाहरण है। यहां स्कूल का भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद शिक्षक और बच्चे उसी जर्जर भवन में पढ़ने के लिए मजबूर हैं। लगभग 20 से 25 छात्र-छात्राएं छठवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि स्कूल भवन का छज्जा कभी भी गिरने की कगार पर है।

स्थिति इतनी गंभीर है कि स्कूल में तड़ित चालक तक नहीं लगाया गया है, जिससे बिजली गिरने जैसी प्राकृतिक आपदाओं का भी खतरा मंडरा रहा है। बावजूद इसके, न तो शिक्षा विभाग के अधिकारी और न ही स्थानीय प्रशासन ने अब तक इस स्थिति पर ध्यान दिया है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रशासन और शिक्षा विभाग गहरी नींद में सोए हुए हैं, जबकि स्कूल के शिक्षक और प्रधान पाठक लंबे समय से इस मुद्दे से अधिकारियों को अवगत कराने में असफल रहे हैं।

प्रशासन की लापरवाही और शिक्षा विभाग की अनदेखी से यहां के बच्चों की जान जोखिम में है। प्रदेश के कई हिस्सों में ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जहां स्कूलों के छज्जे गिरने या पंखा गिरने से बच्चे घायल हो चुके हैं। इसके बावजूद, चाकामार के इस स्कूल की दयनीय हालत को नजरअंदाज किया जा रहा है।

हमारे रिपोर्टर ने जब स्कूल का दौरा किया, तो वह भी इस हालत को देखकर हैरान रह गए। यह सवाल अब भी बना हुआ है कि जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर कब इस मामले का संज्ञान लेंगे। क्या वे जल्द ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था करेंगे, या फिर बच्चों की जान को इस खंडहर में और अधिक जोखिम में डाल देंगे? अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन कब जागता है और इस गंभीर स्थिति को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।