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जल जीवन मिशन: आकांक्षी जिला कोरबा में अधूरे काम से बढ़ा जनाक्रोश, 9 माह बाद भी जांच अधूरी

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कोरबा, 30 सितंबर 2024. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘जल जीवन मिशन’ के तहत कोरबा जिले में जल आपूर्ति की योजनाएं धीमी प्रगति और लापरवाही के कारण ठप पड़ी हैं। इस योजना के तहत कोरबा जिले में 33 पंचायतों में जलापूर्ति का कार्य चल रहा है, लेकिन 9 माह बीत जाने के बावजूद भी कार्य अधूरे हैं। यहां तक कि फर्म द्वारा तकनीकी मापदंडों की अनदेखी और गुणवत्ता में खामियों की शिकायतों के बावजूद, पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग) द्वारा जांच अधूरी ही है। इससे स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश पैदा हो गया है।

फर्म की लापरवाही और अधूरे काम

कोरबा जिले के पाली और कटघोरा ब्लॉक की कुल 33 पंचायतों में जल जीवन मिशन के तहत जल आपूर्ति के कार्य फर्म ‘ज्योति इलेक्ट्रॉनिक्स कटघोरा’ को सौंपे गए थे। इसमें पाली ब्लॉक की 19 पंचायतें और कटघोरा की 10 पंचायतें शामिल हैं। इन परियोजनाओं के लिए फर्म को अब तक 10 करोड़ 21 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। बावजूद इसके, काम की प्रगति केवल 50% ही है।

ज्यादातर गांवों में नल-जल कनेक्शन केवल शो पीस बनकर खड़े हैं। कहीं टोंटी गायब है, तो कहीं पाइपलाइन ज़मीन पर ही पड़ी है। ग्रामीणों का कहना है कि नल कनेक्शन लग गए हैं, लेकिन पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। कुछ हितग्राहियों ने शिकायत की कि ठेकेदार द्वारा मानकों का पालन नहीं किया गया और पाइपलाइनों को आवश्यक गहराई तक नहीं बिछाया गया, जिससे उनकी सुरक्षा और स्थायित्व पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।

ग्रामीणों की नाराजगी और मांगें

चैतमा और मुनगाडीह गांव के ग्रामीण इस लापरवाही से बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि या तो जल्द से जल्द जलापूर्ति शुरू की जाए या फिर अधूरे स्ट्रक्चर को हटाकर उन्हें जमीन वापस दे दी जाए। ग्रामीण जुगमुनिया बाई ने बताया कि “सालों से नल कनेक्शन अधूरा पड़ा है, कोई अधिकारी हमारी समस्याओं को सुनने नहीं आया।” सीमा चौहान ने कहा, “गर्मी में बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते हैं, अगर जल्द ही पानी की आपूर्ति नहीं की गई तो हमें मजबूरन इन नल कनेक्शनों को हटवाना पड़ेगा।”

मुनगाडीह गांव की किरन ने शिकायत की कि जल संकट के कारण उन्हें निस्तारी के लिए नदी पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं कुछ ग्रामीणों ने बताया कि जल संकट की वजह से उन्हें निजी बोरवेल खुदवाने के लिए कर्ज लेना पड़ा। यह स्थिति पूरे जिले के विभिन्न गांवों में देखी जा रही है, जिससे ग्रामीणों की परेशानियां बढ़ गई हैं।

कांग्रेस शासनकाल में लापरवाही

जल जीवन मिशन के कार्यों में देरी और खराब गुणवत्ता के लिए ग्रामीण कांग्रेस शासनकाल के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों पर भी आरोप लगा रहे हैं। भूपेश बघेल सरकार के दौरान इस फर्म को कोरबा जिले के 33 पंचायतों में जलापूर्ति के कार्य दिए गए थे, लेकिन कार्य की निगरानी और गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया। फर्म को बिना उचित जांच और संतोषजनक कार्यप्रगति के ठेके दे दिए गए, जिससे आज स्थिति इतनी गंभीर हो गई है।

जांच प्रक्रिया की धीमी गति

जनवरी 2024 में जल जीवन मिशन के संचालक ने फर्म के कार्यों की जांच के लिए राज्य स्तरीय टीम गठित करने का आदेश दिया था। इस आदेश के तहत फर्म द्वारा किए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता, तकनीकी मापदंडों और भुगतान प्रक्रिया की जांच 30 दिन के भीतर पूरी होनी थी। लेकिन 9 महीने बाद भी जांच अधूरी पड़ी है। इसके अलावा, फर्म ने भी काम को लटकाए रखा है और जहां काम हो रहे हैं, वहां भी तकनीकी मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है।

फर्म की तकनीकी खामियां

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, फर्म द्वारा किए जा रहे कार्यों में कई महत्वपूर्ण तकनीकी मानकों का पालन नहीं किया गया। पाइपलाइनों को उचित गहराई पर नहीं बिछाया गया, जलागार टंकियों का निर्माण भी मानकों के अनुसार नहीं हुआ, और कई जगहों पर सीढ़ियों की ऊंचाई और गुणवत्ता में खामियां पाई गईं। पाइपलाइनों की टेस्टिंग भी सही तरीके से नहीं की गई, जिससे इनकी स्थायित्व पर सवाल उठ रहे हैं।

जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया और आगामी कार्रवाईपाली ब्लॉक के जनप्रतिनिधि और हितग्राही अब इस मामले को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। वे जल्द ही कलेक्टोरेट में भी प्रदर्शन करने वाले हैं, ताकि प्रशासन को इस गंभीर स्थिति के बारे में अवगत कराया जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि जल जीवन मिशन की इस स्थिति ने उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है, और वे अब और देरी सहन नहीं कर सकते।

प्रशासन का बयान

पीएचई कटघोरा के एसडीओ आदित्य प्रताप ने कहा, “फर्म के खिलाफ शिकायत की जांच जारी है, जो मेरे कार्यभार संभालने से पहले शुरू की गई थी। यह जांच अब अंतिम चरण में है। यदि कार्य में कोई गड़बड़ी है, तो उसे जल्द से जल्द दिखवाया जाएगा।”

हालांकि, ग्रामीणों की उम्मीदें धूमिल होती जा रही हैं, क्योंकि 9 माह बाद भी समस्या का कोई समाधान नहीं निकल सका है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही जलापूर्ति नहीं शुरू हुई, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

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